रेगिस्तान के दानवो की कहानी (Story in Hindi)

एक समय की बात है, दो व्यापारी थे। दोनों ही बहुत अच्छे दोस्त थे।दोनों ही व्यापार के लिए एक दूर वाले स्थान पर जाने की तैयारी कर रहे थे। Story in Hindi

दोनों के साथ 500-500 बैल गाडियों का काफिला भी था। उन सबमें व्यापारियों का माल भरा हुआ था। दोनों को एक ही जगह पर जाना था और एक ही रास्ते से जाना था। इसीलिए उन्होंने ने सोचा की एक पहले जायेगा और एक बाद में जायेगा।Story in Hindi

उनमे से एक व्यापारी जो चालाक था, उसने कहा की मैं अपने काफिले के साथ पहले जाऊंगा। उसने मन में सोचा की अगर मैं पहले जाऊंगा तो रास्ते में उगी हुई हरी घास मेरे बैल खा पाएंगे। और मैं रास्ते में मिलने वाले अच्छे अच्छे फल और सब्जियाँ भी खा पाउँगा।Story in Hindi

और जहाँ सामान बेचने जा रहा हूँ वहां जाकर अच्छे से मोल भाव करके अच्छी कीमतों पर अपना सामान बेचूंगा।और मेरे साथ जाने वाले लोग मेरी तारीफ करेंगे। इस तरह से उसे पहले जाने में बहुत ही अधिक लाभ प्रतीत हो रहा था।

दूसरा व्यापारी जो सज्जन किन्तु समझदार था, उसने ध्यान से बाद में जाने के फायदों को सोचा। उसने सोचा की पहले व्यापारी के जाने से उसे काफी फायदे है। पहले काफिले की वजह से रास्ता समतल हो जायेगा जिससे उसे रास्ते में काम नहीं करना पड़ेगा।

उसके बैल सुखी घास खायेंगे जिससे वापस आते समय वहां ताज़ी घास उग जाएगी।और पहले काफिले वाले जब फल और सब्जियाँ खा लेंगे उसके स्थान पर भी नए फल और सब्जियाँ आयेंगे।

पहला काफिला जाकर नए स्थान पर जाकर मोल भाव पहले ही कर लेगा इसलिए उन्हें मूल्यों के लिए भी कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।इन्ही सब फायदों को ध्यान में रख कर उसने बाद में जाने का विचार किया।

पहले जाने वाला व्यापारी सोच रहा था की उसने दूसरे व्यापारी को मूर्ख बनाया है और वो ही सारा मुनाफा ले लेगा।और उसने अपनी यात्रा शुरू की।

उन्हें जिस रास्ते से जाना था उस रास्ते में एक रेगिस्तान पड़ता था।वहां दूर तक पानी नहीं मिलता था।

स्थानीय लोगो का कहना था की उस रेगिस्तान में बहुत सारे दानव रहते है जो दिन में इंसान के रूप में उस रेगिस्तान में घूमते है।
जैसे ही पहले व्यापारी का

काफिला उस जगह से गुजर रहा था उन्हें सामने से आते बहुत सारे लोग दिखाई दिए। उनके पास बैलगाड़िया थी जिनके पहिये कीचड में धंसे हुए थे।

उन लोगो के हाथ और गाड़ियों में कमल के फूल थे जो पानी में ही खिलते है।
उस दल के मुखिया ने व्यापारी से कहा कि तुम इतना सारा पानी ढो कर क्यों ले जा रहे हो।यहाँ से बस कुछ ही दूरी पर पानी की बहुत बड़ी झील है जहाँ पर ढेर सारा पानी और खाने के लिए बहुत सरे खजूर मिल जायेंगे।

तुम्हारे बैल ये पानी का बोझ ढो कर थक रहे है। इसलिए तुम्हे ये सब पानी फेंक देना चाहिए। तुम बिना वजह ही ये वज़न ढो रहे हो।
हालांकि स्थानीय लोगो ने व्यापारी को चेतावनी दी थी फिर भी वो समझ नहीं पाया की वो असली लोग नहीं थे।

वो इन्सान के भेष में छुपे हुए दानव थे और सबको खा जाना चाहते थे। व्यापारी उनकी बातोँ में आ गया और सारा पानी ज़मीन पर फेंक दिया।उसने अपने साथ वाले सभी लोगो से भी कहा की ये लोग हमारी मदद करने आये है और बहुत अच्छे लोग है।

जैसे ही वो रास्ते पर आगे बढे उन्हें कोई झील नहीं मिली।और कुछ ही समय में वो समझ गये की उन्हें मुर्ख बनाया गया है।सभी ने उस व्यापारी को कोसना शुरू कर दिया जो दल का प्रमुख था।
रात हो गयी और सब बहुत थक गए थे।

सभी बैल भी बिना पानी पिए प्यास की वजह से कमजोर हो गए थे और आगे बढ़ने में सक्षम नहीं थे। काफिले के सभी लोग जहाँ तहां लेट गये और थकान के कारण तुरंत ही सो गये।

जब वो सब सो रहे थे, दानव अपने असली रूप में आ गये और कमजोर और रक्षा करने में असमर्थ लोगो को मार कर खा गये। जब वो खा चुके तो वहां केवल हड्डियाँ और खाली बैलगाड़िया ही बच गयी। उन्होंने एक भी इन्सान अथवा जानवर को जिन्दा नहीं छोड़ा।

कुछ महीनो बाद दूसरे व्यापारी में अपनी यात्रा शुरू की।उसे भी स्थानीय लोगो ने रेगिस्तान और दानवो ने बारे में चेतावनी दी और सावधान रहने को कहा।
व्यापारी ने अपने साथ चलने वाले काफिले के लोगो से कहा की

उससे पूछे बिना कोई भी रास्ते में मिलना वाला पानी ना पिए और ना ही कोई फल सब्जी खाए क्योंकि वो ज़हरीले हो सकते है।

जैसे ही वो आधे रास्ते पहुंचे उन्हें भी इन्सान के भेष में दानव मिले और पास ही में बहुत सारा पानी होने की बात कही।और उनसे भी कहा की वो अपने पास का सारा पानी फेंक दे।

लेकिन जो दूसरा व्यापारी जो काफी समझदार था वो जानता था की इस निर्जन रेगिस्तान में पानी होने का कोई सवाल ही नहीं है।और साथ ही साथ जो लोग उन्हें पानी के बारे में बता रहे थे उनकी आँखे लाल थी और काफी उग्र स्वाभाव के लग रहे थे। इसलिए व्यापारी को शक हुआ की ये दानव हो सकते है।

उसने उन लोगो से कहा की हम व्यापारी है और जब तक दूसरा अच्छा पानी मिल नहीं जाता हम अपने पास का पानी नहीं फेंक सकते और कहा की उन्हें किसी मदद की जरूरत नहीं है।

ये बाते सुनकर व्यापारी के साथ वाले लोगो को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने कहा की ये अच्छे लोग है और पास में पानी जरुर होगा।
तब व्यापारी ने उन्हें अच्छे से समझाया।

उसने कहा, ये निर्जन रेगिस्तान है। क्या तुम्हे आसपास कोई बादल दिख रहे है या लगता है यहाँ कभी बारिश होती होगी। अगर बारिश नहीं तो पानी की झील कहाँ से आएगी।

ये लोग अवश्य ही दानव होंगे और जब हमारा अच्छा पानी हम फेंक देंगे और हमारे पास पीने और खाना पकाने के लिए पानी नहीं होगा और हम कमजोर होंगे वो हमे आसानी से खा जायेंगे।

सबने व्यापारी की बात मानी और उनका काफिला आगे बढ़ गया।शाम को वो भी उसी जगह पर आ पहुंचे जहाँ पहले काफिले को मार कर खाया गया था। वहां सब जगह केवल हड्डियाँ और

खाली बैलगाड़िया ही पड़ी हुई थी।
उसे देख कर वो सब समझ गए कि ये पहले आने वाले व्यापारी का ही काफिला है।समझदार व्यापारी ने कुछ लोगो से रात में जाग कर पहरा देने के लिए कहा। इस तरह उनकी पूरी रात आराम से कट गयी।

वो सुबह अपनी यात्रा पर दोबारा निकले और उनकी ये यात्रा बहुत सफल हुई साथ ही साथ उन्हें ढेर सारा मुनाफा भी हुआ। इसके लिए सबने उस व्यापारी की बहुत तारीफ़ की।

कहानी की सीख: हमे सदैव इतना समझदार और जागरूक होना चाहिए की दूसरो के द्वारा मुर्ख ना बनाये जा सके।

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