जैसे ही भिक्षु ने दरवाजा खोला,किसान ने उसे अंगूरों का एक बहुत सुंदर गुच्छा दिया।
किसान ने उस भिक्षु से कहा- मेरे भाई! ये मेरे खेत में उगे आज तक के सबसे अच्छे अंगूर है, और ये मैं आपके लिए लेकर आया हूँ।आप इन्हें स्वीकार कीजिये।
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मैं अभी ये अंगूर का गुच्छा ले जाकर मठाधीश को दे देता हूँ। आपकी तरफ से ये तोहफा पाकर वो बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होंगे।
किसान बोला- नहीं नहीं! मैं ये अंगूर केवल आपके लिए ही लेकर आया हूँ। क्योंकि जब भी मैंने आज तक इस मठ का दरवाजा खटखटाया है, हमेशा आपने ही मेरे लिए दरवाजा खोला है। पिछले साल भी जब सूखा पड़ा था, और मेरी सारी फसल ख़राब हो गयी थी, वो आप ही थे जिसने मुझे रोज़ खाना दिया वरना मैं तो भूख से मर जाता।
इसलिए ये अंगूर केवल आपके लिए ही है।
भिक्षु ने अंगूरों को स्वीकार किया और किसान उन्हें देकर वापस चला गया।
उस पूरी सुबह उन अंगूरों को देखता रहा और प्रसन्न होता रहा। और अंत में उसने उन अंगूरों को मठाधीश को देने का निर्णय किया जो उसे हमेशा ही अच्छी बाते कहते थे और उसकी बहुत अधिक तारीफ किया करते थे।
भिक्षु ने सोचा कि अंगूर पाकर मठाधीश बहुत खुश होंगे इसलिए मैं उन्हें ये दे देता हूँ।
ऐसा सोच कर उसने वो अंगूर मठाधीश को दे दिए।
मठाधीश उन अंगूरों को पाकर सच में बहुत ही खुश हुए और भिक्षु को धन्यवाद कहा।
लेकिन कुछ ही देर बाद मठाधीश को याद आया की मठ में एक बीमार भिक्षु है, और हो सकते है कि इन अंगूरों को खाकर उसे कुछ अच्छा महसूस हो।
ऐसा सोच कर उन्होंने वो अंगूर उस बीमार भिक्षु को दे दिए।
अंगूर पाकर वो बीमार भिक्षु भी काफी प्रसन्न हुआ और मठाधीश को बहुत बहुत धन्यवाद कहा।
लेकिन अंगूर ज्यादा देर तक उस बीमार भिक्षु के पास भी नहीं रहे, क्योंकि उसने उन्हें खाना बनाने वाले को देने का निर्णय किया जो काफी लम्बे समय से उसकी सेवा में लगा हुआ था।
इसलिए उसने सोचा की मैं ये अंगूर खाना बनाने वाले को दूंगा। और उसने भी वो अंगूर खाना बनाने वाले को दे दिए।
खाना बनाने वाला इतने सुंदर अंगूर पाकर बहुत ही खुश हो गया क्योंकि इतने सुंदर अंगूर उसने पहले कभी नहीं देखे थे।
इसलिए उसने सोचा की वो इन सुंदर अंगूरों को नहीं रखेगा और उन्हें मठ के पुजारी को दे देगा जो एक महान आत्मा थे और हमेशा सबको अच्छे अच्छे वचन बोलते थे।
ऐसा सोच कर उसने वो अंगूर मठ के पुजारी को दे दिए।
Story in Hindi Motivation
मठ के पुजारी ने भी वो अंगूर अपने पास नहीं रखे। उन्होंने सोचा की मैं ये अंगूर मठ में नए आये भिक्षु को दे देता हूँ, जिससे वो समझ सके की ईश्वर प्रकृति द्वारा निर्मित हर एक छोटे टुकड़े में है।
जब नए भिक्षु को वो अंगूर मिले, उसे याद आया अपना पहला दिन जब वो उस मठ में पहली बार आया था और एक इन्सान जिसने उसके लिए दरवाजा खोला था।
उसने सोचा कितना भला है वो इन्सान जो हमेशा वहां दरवाजे पर रहता है, आने जाने वालो के लिए दरवाजा खोलता है और सबसे इतने अच्छे से बात करता है।
मुझे ये अंगूर अवश्य ही उसे दे देने चाहिए।
और शाम होने से पहले वो अंगूर वापस से उसी दरवाजा खोलने वाले भिक्षु के पास थे जिसे वो सबसे पहले किसान से प्राप्त हुए थे।
जब भिक्षु को वो मिले तो वो समझ गया की ये तोहफा सचमुच केवल उसी के लिए था।उसने खाते समय हर एक अंगूर में अपने अच्छे कर्मो को महसूस किया और चैन की नींद सो गया।
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